बुधवार, 12 नवंबर 2008
बाबू
एक बहुत ही प्यारा सा शब्द है बाबू........इस शब्द का प्रयोग मैंने पहले एक आध बार घर पर पापा के मुंह से सुना था....पर जब से यहाँ(ऑफिस)आई हूं बाबू शब्द का प्रयोग बिल्कुल अलग॥और नये अंदाज़ में सुन रही हूं...यहां आप से छोटा तो बाबू है ही.....आप के बराबर और आप से बडा भी बाबू ही है.....वैसे बहुत ही मजेदार है ये बाबू शब्द...किसी को प्यार से बुलाना हो तो...बाबू इधर आओ...किसी को डांटना हो तो बाबू....सुना नहीं तुमने...या फिर किसी से कोई काम लेना हो तो.....बाबू.........कर दो ना...............और तो और....यहां अगर किसी को...... "जब वी मैट" की तर्ज पर गाली देनी हो तो कुछ इस अंदाज़ में दी जा सकती है.......सुनो बाबू तुम कुत्ते हो.....और तो और बाबू तुम कमीने भी हो.....और हां सुनो बाबू तुम कुत्ते की मौत मरोगे.... है ना कितना मजेदार शब्द बाबू..........
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2 टिप्पणियां:
रोशनाई जी,
इतनी कड़वी एहसास कैसे है.. कहीं आपके साथ भी कोई बाबू कहके....
बाबू में एक विश्वास होता है...बाबू में एक प्यार होता है...हर एक शख्त बाबू जैसे शब्दों में पलता है...और बढ़ता है...बाबू में एक अजीब सा भावनात्मक भाव है...पर इस 'बाबू' में इसके ठीक उल्टा है...कभी मै भी एहसास किया था...'बाबू' कह कर कथित तौर पर प्यार दर्शाने वाले संबोधन का। पर इस 'बाबू' से वास्तविक बाबू से घबराने की जरुरत नहीं।
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