गुरुवार, 18 दिसंबर 2008

....धरती का स्वर्ग...


धरती पर अगर स्वर्ग है तो यहीं है...यहीं है...यहीं है....

बचपन से ही मैं ये बात सुनती और टीवी पर देखती हुई आई हूं...इसीलिए मैं काश्मीर जाने की तहे दिल से इच्छा रखती हूं......जम्मू काशमीर में सात चरणों में चुनाव हो रहे है....मेरा एक दोस्त दूरदर्शन के लिए चुनावों की रिपोर्टींग करने के लिए काशमीर में गया है वो अनंतनाग अउऱ श्रीनगर के बीच खूब आना जाना कर रहा है....इसी दौरान मेरी भी उससे बीच बीच में बातचीत होती रहती है...आखरी दफा जब मेरी उससे बात हुई ....तो उस वक्त उस की आवाज़ में कुछ थरथराहट थी अब ये नहीं पता की वो सर्दी के वजह से थी या फिर उसके साथ उस वाक्ये के वजह से जो उसने मुझे बताया......अपने मित्र से हुई बात चीत से मुझे काश्मीर के उन हालातो के बारे में पता चला जो उससे पहले मैं कई बार सुन औऱ पढ़ चुकी थी....पर उन बातों पर आधे मन से ही विश्वास करती थी...पर जब से उससे बात हुई है उन बातों पर विशवास करने को विवश हो जाती हूं...मुझे मेरे दोस्त की बात से लगा काशमीर के लोग दो भागों में बटे हुए है एक वो जो घाटी में जम्हूरीयत चाहते है और एक वो जो काशमीर में आज़ादी चाहते हैं........मुझे समझ में नहीं आता कि दक्षिण एशिया के इस मसले का हल कब होगा...खैर क्या होगा पता नहीं पर मेरी दिली दुआ है कि काशमीर में जल्द से जल्द सब ठीक हो जाये...ताकी मुझ जैसे लोग वहां जा सकें......आमीन....अल्लाह हाफिज़

1 टिप्पणी:

उन्मुक्त ने कहा…

आप कश्मीर जायें वहां ऐसी कोई मुश्किल नहीं है। हम लोग पिछले साल ही गये थे। सच में, पृथ्वी पर स्वर्ग है।

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