मां क्यों छोड़ा मुझे....क्यों बना दिया मुझे एक गाली.....आज मैंने एक स्टोरी कानपुर की एक ऐसी बच्ची पर की जिसे कूड़े में फैंक दिया गया था....आज तक तो ये खबरें महानगरों में आम थी लेकिन छोटे शहरों में भी ये चलन इतनी तेज़ी से बढ़ रहा है जो बहुत.... बहुत ही दुख की बात है..........आख़िर ये क्या चलन है....क्यों बच्चों को इस कद्र फैंका जा रहा है...कहा गुम होते जा रहें है वो दिल....वो मर्दायऐं...क्या कारण है इस तरह बच्चों को फैंकने के पीछे....वो बच्चे जो किसी के घर का चिराग...किसी का फक्र होना चाहिए थे...क्यों इस तरह... कचरा बन जाते है...कौन जिम्मेदार है इसके लिए...वो लोग जो उस बच्चे को दुनिया में लाने की भूल करते है या फिर वो सामाजिक मर्यादाऐ जो अब बेमतलब बेमायने होते जा रहे है.......बहुत सी बहस होती है....बहुत से रिसर्च होते है....पर नतीजे के नाम पर वही ढाक के तीन पात.......कैसे इस समस्या को हल किया जा सकता है...मैं नहीं जानती पर एक छोटी सी इल्तजा करती हूं यूं ना इन... खूबसूरत मासूम जानों को धूल का फूल बनाईयें जिनकी जिम्मेदारी लेने लायक हम नहीं उन्हें दुनिया में लाने का हक भी नहीं है हमें.......
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